हमरा गरिब कहिके गवार नइ बुझु
किसान
हमरा गरिब कहिके गवार नइ बुझु
हमरे से उब्जल , साग सब्जी आ धान,
तब त सबलोकके मिलैय सम्मान ।।
बंजर खेतमे मेहनत करेके क्षमता हय
हमर बस्त्र देखके हमरा फकिर नैइ बुझु ।
हमरेसे दुनियाँमे पेटके भुख मुझाइ हय,
हमरे मेहनतपर सबके गुमान चलैय हय ।
कमालु कतबो रुपैया,अन्न त खाही परत
जीवन जीय लेल हमरा याद करही परत ।
कतबो देखाबा कल्लु माटीमे लेरहाही परत,
किसानके हृदयसे सम्मान करही परत ।।
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